हिन्दुओ में पर्दा प्रथा
पर्दा प्रथा
मुँह को किसी कपडे से ढकने को ही पर्दा कहते है। पर्दा या घूँघट कोई कन्या तब धारण करती है जब वह युवावस्था को प्राप्त हो जाती है और वृद्धावस्था आने तक वह पर्दा उतरता चला जाता है। यह प्रथा कब शुरू हुए यह निश्चित नहीं है।
"कुछ विद्वानों का कथन है की भारत में प्रदा प्रथा का प्रचलन मुसलमानो के आने के बाद शुरू हुआ।"
और
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" कुछ मानते है की भारत में पर्दा प्रथा थोड़े बहुत रूप में पहले से ही विध्यमान थी।"
विद्वानों द्वारा दिए गए पर्दा प्रथा से जुड़े तथ्ये ..
- राजपूत स्त्रियां (15 वी सदी तक ) आवश्यकता पड़ने पर युद्ध स्थल में जाया करती थी और बहिये कार्यो में भी भाग लिया करती थी इससे तो पता चलता है की राजपूतो में पर्दा प्रथा नहीं थी राजपूतो का इतिहास भी पर्दा प्रथा की पुष्टि नही करता है जहां मुस्लिम नाममात्र के थे वहाँ पर पर्दा पायी जाती थी।
- एक मत यह भी है की भारत में पर्दा प्रथा तो थी लकिन आंशिक रूप में थी मुसलमानो के भारत में इस प्रथा को बल मिल गया। भारतीयों ने इसे अपनी रक्षा के उद्देश्ये से अपनाया।
- हिन्दुओ में पर्दा प्रथा अपनाने का कारण यह था की तुर्क शासन और पदाधिकारी हिन्दू नारियो पर मनमाने अत्याचार करते थे अमीर लोग हिन्दुओ की सुन्दर युवतियों को लेकर चले जाते थे या फिर उन्हें अगवा कर लेते थे। इसीलिए अपनी घर की युवतियों एवं कन्याओ को मुस्लिमो की गलत निगाहो से बचाने के उद्देश्ये से हिन्दुओ में पर्दा प्रथा का विकास हुआ।
- इसके अलावा विदेशी मुस्लिमो के रीती रिवाज का कारन भी यह प्रथा हिन्दुओ ने अपनायी थी।
- ग्रामो में स्त्रियां विशेष पर्दा नहीं करती थी , परन्तु जब कोई अजनबी व्यक्ति उनको दिखाई पड़ता था या पास से निकलता था तो वह साडी का पल्ला मुख पर खिसका लेती थी।
- जिन लोगो का जीवन थोड़ा निचले स्तर का था उनकी महिलाओ के लिए पर्दा जरूरी था और यह उनके खानदान के लिए गौरव का विषय हुआ करता था यह नजाकत एवं तहजीब की निशानी माना जाता था
- बड़े संपन्न घराने की हिन्दू महिलाये मुस्लिम महिलाओ की पालकियों में जाया करती थी।
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